
सच के घर पर ईंट न मरो।।
आप जियो शानो-शौकत से।
मेरी झोपडी को न उजाडो॥
ऐश-हवश का अंत नहीं है।
फिक्र को मेरे घर मी जगह दो॥
फूल चमन के आप ही ले लो।
हमे खार का यार बना दो॥
आपको सब्र नहीं होता है।
मेरा दिल पत्थर कर डालो॥
आओ जख्मों का कुछ हिसाब करें । दर्द को फ़िर से लाजवाब करें॥
1 comment:
nice one
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