Saturday, April 18, 2009

हकीकत और ख्वाबों मे




ये दुनिया वो नही दिखती है जो तामीर होती है।

हकीकत और ख्वाबों मे अलग तस्वीर होती है॥



किसी की बेवफाई का गिला करके भी क्या हासिल।

हँसी सूरत मे जो शीरत है वो बेपीर होती है॥




फरेबी की है ये ख्वाहिश कि मैं उस जैसा हो जाऊं।

नहीं बन पाया मैं ये खून की तासीर होती है॥



सियासतदां के अल्फाजों से तख्त-ओ-ताज मिलते हैं।

मगर शायर कि खुद्दारी भी इक जागीर होती है॥



ये जज्बातों का नक्शा ''इश्क'' कि कारीगरी देखो।

जहाँ दिल सीने मे हो पाँव मे जंजीर होती है॥




Thursday, April 9, 2009

वक्त का दरिया




वक्त के दरिया मे हलचल हो रही है।
गम की जानिब से हवाएं चल रही हैं॥


जिंदगी को बुनता हूँ हर रोज मैं।
टूट जाती है लडी जो कल रही है॥


सुबहा से उम्मीद मिलती शाम से हैरानियाँ।
जिंदगी इस कश-म-कश में ढल रही है॥


कर दिया इजहार-ऐ-दिल बेफिक्र हो।
जाने कब से ये मुहब्बत पल रही है॥


''इश्क'' की है आरजू हर शै बुझाऊँ।
जो दिलों मे नफरतों सी जल रही है॥