Saturday, June 7, 2008

दर्द का मजा

रात देर तक जाग के देखा,

कोई सितारा बुझा नहीं था।

मैं ही अकेला था महफ़िल में,

फ़िर भी मुझ पर फ़िदा नहीं था।

चाँद भी मुझ सा फिक्रमंद था,

मेरे गम से जुदा नहीं था।

कैसे मजा तुम दर्द का पाते ,

इश्क किसी से हुआ नहीं था.