Friday, August 8, 2008

गम का एहसास


गम का एहसास रुला देता है।
प्यार जब दिल से सदा देता है॥


हम चले कारवां के साथ मगर।
नक्शे - पा गुम दिखाई देता है॥


आदमी से आदमी को क्या हासिल।
जो भी देता है खुदा देता है॥


आपके प्यार का अदना सदका।
जख्म सदिओं के मिटा देता है॥


'इश्क' की कलम मे है वो जादू।
दिल से नफ़रत जो हटा देता है॥

7 comments:

Vinay said...

साहब क्या कमाल ग़ज़ल लिखी है, हर शे'र सीधे दिल तक, वाह!

Vinay said...
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Anonymous said...

आज स्वतंत्रता दिवस आयिए इस बेला पर पूरे देश को आवाज़ लगाये की ग़रीबी और भुखमरी और नहीं रहने देंगे! आज़ादी के मायने नहीं बदलने देंगे! छोटे बड़ों से मार्गदर्शन लेंगे!

Kumar Mukul said...

आपके प्यार का अदना सदका।

जख्म सदिओं के मिटा देता है॥
अच्‍छी लगी पंक्तियां मित्र...

योगेन्द्र मौदगिल said...

आदमी से आदमी को क्या हासिल।

जो भी देता है खुदा देता है॥




आपके प्यार का अदना सदका।

जख्म सदिओं के मिटा देता है॥

achhe sher kahe hain aapne badhai

Vinay said...

दीपावली के पावन पर्व पर आपको हार्दिक बधाई!

mehek said...

bahut sundar