Friday, July 18, 2008

जाने कैसा है सफर



न हमनवां न हमसफ़र।

ऊंची नींची है डगर॥

आज तक जाना नहीं।

जाने कैसा है सफर॥




खो गया मिलता नहीं।

बुझ गया जलता नहीं॥

ढूँढता हूँ दर-ब-दर ।

जाने कैसा है सफर॥




जाऊँगा मैं किस तरफ़ ।

अब अंधेरे हैं सिर्फ॥

कुछ नहीं आता नजर।

जाने कैसा है सफर॥




''इश्क'' के हर दर्द से।

दूर हैं हमदर्द से।।

याद आता है मगर।

जाने कैसा है सफर॥



2 comments:

Vinay said...

really good song!

Asha Joglekar said...

बेहद खूबसूरत दर्द में डूबा हुआ गीत ।