
जिंदगी में खुमार आ जाये।
तुमपे दिल बेक़रार आ जाये॥
कब से बेचैन हैं तुम्हारे लिए।
आ भी जाओ करार आ जाये॥
आशनाई की ये ही मंजिल है।
जब कशिश बेशुमार आ जाये॥
ये गुजारिश है मेरी गुलशन से।
तुमको छू लूं निखार आ जाये॥
तुम खुदा की एक नेमत हो।
इक नजर देखें प्यार आ जाये॥
"इश्क" ये मेरी तमन्ना ही सही।
ख्वाब आये बहार आ जाये॥
........................"इश्क"सुल्तानपुरी।
2 comments:
क्या कहें...
इतना खूबसूरत लिखते हैं आप ।
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