Monday, October 3, 2011

आशनाई की मंजिल



जिंदगी में खुमार आ जाये।

तुमपे दिल बेक़रार आ जाये॥



कब से बेचैन हैं तुम्हारे लिए।

आ भी जाओ करार आ जाये॥



आशनाई की ये ही मंजिल है।

जब कशिश बेशुमार आ जाये॥



ये गुजारिश है मेरी गुलशन से।

तुमको छू लूं निखार आ जाये॥



तुम खुदा की एक नेमत हो।

इक नजर देखें प्यार आ जाये॥



"इश्क" ये मेरी तमन्ना ही सही।

ख्वाब आये बहार आ जाये॥


........................"इश्क"सुल्तानपुरी।









2 comments:

Vinay said...

क्या कहें...

Asha Joglekar said...

इतना खूबसूरत लिखते हैं आप ।