हमको हर इक दर पे अजमाया गया है।
कारवाँ के बीच मे इक आदमी पाया गया है॥
रोज़ बारीकी से सुलझाता हूँ उलझे मसले।
सिलसिले हैं नित सवालों के नया लाया गया है॥
फ़िर रहे उम्मीद पर थम जाएगा ये दौर भी।
फ़िर किसी आवाज़ मे जोश-ऐ-ग़दर पाया गया है॥
सोंचा था हम भी चलें टूटे दिलों को जोड़ दें।
हमको ही काफ़िर पुकारा जुल्म ये ढाया गया है॥
देखना मजमून का चर्चा न कर दे बज़्म मे।
ख़त भी कासिद से ही लिखवाया गया है॥
देने वाला है दगा कोई ख़बर फ़िर से छपेगी।
हाथ दुश्मन से मेरा खलवत मे मिलवाया गया है॥
"इश्क" जब भी गर्दिशों से जंग से हम बच गए।
हुश्न के हाथों की तलवारों से मरवाया गया है॥
कारवाँ के बीच मे इक आदमी पाया गया है॥
रोज़ बारीकी से सुलझाता हूँ उलझे मसले।
सिलसिले हैं नित सवालों के नया लाया गया है॥
फ़िर रहे उम्मीद पर थम जाएगा ये दौर भी।
फ़िर किसी आवाज़ मे जोश-ऐ-ग़दर पाया गया है॥
सोंचा था हम भी चलें टूटे दिलों को जोड़ दें।
हमको ही काफ़िर पुकारा जुल्म ये ढाया गया है॥
देखना मजमून का चर्चा न कर दे बज़्म मे।
ख़त भी कासिद से ही लिखवाया गया है॥
देने वाला है दगा कोई ख़बर फ़िर से छपेगी।
हाथ दुश्मन से मेरा खलवत मे मिलवाया गया है॥
"इश्क" जब भी गर्दिशों से जंग से हम बच गए।
हुश्न के हाथों की तलवारों से मरवाया गया है॥
4 comments:
behad umda...
वाज जी बहुत ख़ूब
humko hee kafir pukara julm ye dhaya gaya hai.
Bahut sunder gazal. Bahut dino ke bad aaee aapke blog par aur itani khoobsurat gajal mil gayee. Ab aate rahana hoga.
shukriya............
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