Monday, May 12, 2008

क्या करेंगे आज क्या बाकी रहा.
मयकदे में देर तक शाकी रहा..

.जोड़ते हैं रोज कुछ टूटा हुआ.
चलिए अब बस कीजिए काफी रहा .

.. फिर से आकर बज्म में शमिल हुए
सुन नहीं पाए थे क्या उसने कहा...

इश्क क्या करते कोइ सुनता naheen
jo शुरू में आ गया बाकी रहा.........

1 comment:

Asha Joglekar said...

बहुत खूब !
लाइनों में शब्द कहीं कहीं कम ज्यादा लगें ।