गम का एहसास रुला देता है।
प्यार जब दिल से सदा देता है॥
हम चले कारवां के साथ मगर।
नक्शे - पा गुम दिखाई देता है॥
आदमी से आदमी को क्या हासिल।
जो भी देता है खुदा देता है॥
आपके प्यार का अदना सदका।
जख्म सदिओं के मिटा देता है॥
'इश्क' की कलम मे है वो जादू।
दिल से नफ़रत जो हटा देता है॥
7 comments:
साहब क्या कमाल ग़ज़ल लिखी है, हर शे'र सीधे दिल तक, वाह!
आज स्वतंत्रता दिवस आयिए इस बेला पर पूरे देश को आवाज़ लगाये की ग़रीबी और भुखमरी और नहीं रहने देंगे! आज़ादी के मायने नहीं बदलने देंगे! छोटे बड़ों से मार्गदर्शन लेंगे!
आपके प्यार का अदना सदका।
जख्म सदिओं के मिटा देता है॥
अच्छी लगी पंक्तियां मित्र...
आदमी से आदमी को क्या हासिल।
जो भी देता है खुदा देता है॥
आपके प्यार का अदना सदका।
जख्म सदिओं के मिटा देता है॥
achhe sher kahe hain aapne badhai
दीपावली के पावन पर्व पर आपको हार्दिक बधाई!
bahut sundar
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