न हमनवां न हमसफ़र।
ऊंची नींची है डगर॥
आज तक जाना नहीं।
जाने कैसा है सफर॥
खो गया मिलता नहीं।
बुझ गया जलता नहीं॥
ढूँढता हूँ दर-ब-दर ।
जाने कैसा है सफर॥
जाऊँगा मैं किस तरफ़ ।
अब अंधेरे हैं सिर्फ॥
कुछ नहीं आता नजर।
जाने कैसा है सफर॥
''इश्क'' के हर दर्द से।
दूर हैं हमदर्द से।।
याद आता है मगर।
जाने कैसा है सफर॥
2 comments:
really good song!
बेहद खूबसूरत दर्द में डूबा हुआ गीत ।
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