आओ जख्मों का कुछ हिसाब करें । दर्द को फ़िर से लाजवाब करें॥
चल रहा है,
दोनों कन्धों पर झोलियाँ ;
लटकाए हुए।
पीछे पदचिन्हों को नापती स्त्री,
गर्दन झुकाए गोद मे बालक;
चिपकाए हुए।
यूं लगा जैसे जीवन का ,
दर्श और आदर्श इस दृश्य में;
समाये हुए.
gehre bhav bahut khub
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gehre bhav bahut khub
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