बलन्दी पर पहुँच जाये तो फिर सूरज भी ढलता है ,
बदल जाता है सब कुछ वक्त जब करवट बदलता है।
न इतरा ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी की मौज में खोकर ,
जरा सा देख पीछे मौत का साया भी चलता है।
ये एक एहसास जिसको मैं बयाँ कर ही नहीं सकता ,
तसव्वुर में किसी को पा के अपना दिल मचलता है।
बहोत बेबाक होकर कुछ भी कह देना नहीं अच्छा ,
जरा सा सोंचिये हर बात का मतलब निकलता है।
सियासतदाँ की बातों से बहक जाती है जब दुनियाँ ,
किसी की जान जाती है किसी का घर भी जलता है।
महज बकवास है हर आदमी का हक़ बराबर है ,
किसी की भर गयी झोली कोई हाथों को मलता है।
पसर जाता है सन्नाटा सदाओं के सिमटते ही ,
हमारे शहर का माहौल जब करवट बदलता है।
बदल देता है सूरत ख़ाक का रौंदा गया हिस्सा ,
वही जब चाक पर चढ़कर किसी साँचे में ढलता है।
खिलौनों से परी से जाम से मैख़ाना साक़ी से ,
बहल जाता है तब जाकर हमारा दिल सम्हलता है।
सदाएँ " इश्क़ " की सुनकर मुसलसल रो रहा है वो ,
हक़ीकत है कि चाहत हो तो पत्थर भी पिघलता है।
................... … के ० के ० मिश्र ...............................
"इश्क़ " सुल्तानपुरी
09415308956